श्री काशीविश्वनाथेविजयतेतराम ॐ नमः पराय देवाय शंकराय महात्मने | कामिने नीलकंठाय, निर्मलाय कपर्दिने || सावन में पार्थिव शिवलिंग ...
श्री काशीविश्वनाथेविजयतेतराम
ॐ नमः पराय देवाय शंकराय महात्मने |
कामिने नीलकंठाय, निर्मलाय कपर्दिने ||
सावन में पार्थिव शिवलिंग के निर्माण और पूजन से रोग और कष्टों से छुटकारा मिलता है. जानें इसकी पूजन विधि.
आचार्य पंडित राजेश चतुर्वेदी राधेजी ‘काशी वाले’ (सं.सं.वि.वि.वाराणसी) के द्वारा आईये जानते हैं पार्थिव निर्माण और महारुद्राभिषेक के बारे में. और इससे कैसे होगी सावन महीने में आपकी मनोकामना पूर्ति?
सावन (saavan 2020) के पावन महीने में सवा लाख पार्थिव का निर्माण और महारुद्राभिषेक का कार्यक्रम रखा गया है. इस शुभ कार्य सवालक्ष पार्थिव निर्माण और महारुद्राभिषेक (MahaRudrabhishek) में आपका सहयोग अपेक्षित है. अपने नाम से संकल्प ऑनलाइन (Online Pooja) भी करा सकते हैं. जिसका दक्षिणा 5100 रूपये रखा गया है.
और अलग से काशी के प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा भी पार्थिव निर्माण और महारुद्राभिषेक करा सकते हैं. जिसका दक्षिणा निम्न है-
पार्थिव निर्वाण- 5100 रूपये
महारुद्राभिषेक- 2100 रूपये
शिवपुराण के मुताबिक़ पार्थिक शिव लिंग की पूजन से धन-धान्य और पुत्र-प्राप्ति, रोग व्याधि का निवारण, लक्ष्मी प्राप्ति, शत्रु स्तम्भन, अकाल मृत्यु का निवारण होता है.
नौकरी इत्यादि में बाधा, व्यापार-व्यवसाय में घाटा हो रहा है तो पार्थिव निर्माण कर रुद्राभिषेक करें. मनोरथ सिद्ध होगा. लाभ प्राप्त होगा.
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है . पार्थिव शिव लिंग का निर्माण कर पूजन करें. कलयुग में सबसे पहले ऋषि कुष्मांड के पुत्र मंडप ने पार्थिव शिवलिंग की पूजा शुरू की थी.
शिवपुराण (Shivpuran) का कथन- शिव पुराण में वर्ण है कि जो मनुष्य पार्थिव शिव लिंग बनाकर विधिवत पूजन करता है उसे 10 हजार कल्प तक स्वर्ग में रहने का अवसर प्राप्त होता है. पार्थिव शिवलिंग का पूजन महिला और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं.
शिवमहापुराण विद्येश्वर संहिता के सोलहवें (16) अध्याय के अनुसार
श्लोक- अपमृत्युहरं काल मृत्योश्चापि विनाशनम|
सद्य: कलत्र-पुत्रादि धन-धान्य प्रद द्विज:||
भावार्थ- पार्थिव पूजन से तत्क्षण पुत्रादि धन प्राप्त होता है और इस श्लोक में सभी मनोरथ को पूर्ण करती है तथा अकाल मृत्यु को भी टालती है. इस पूजा को स्त्री-पुरुष दोनों करते हैं.
कैसे बनाएं पार्थिव शिव लिंग? i
पार्थिव शरीर के निर्माण के लिए छानी हुयी मिट्टी, गाय का गिबर, गुड़, मक्खन, शहद, चन्दन और भस्म मिलाकर शिव लिंग का निर्माण कर शिव लिंग की ऊंचाई 12 अंगुल से ज्यादा ना हो.
आचार्य पंडित राजेश चतुर्वेदी जी पर एक दृष्टि- आप संस्कृत के सम्पूर्ण मन्त्रों के ज्ञाता हैं. शुक्ल यजुर्वेद संहिता आपको कंठाग्र है. रुद्री तो मानो आपके ओष्ठों पर है. आप एक अच्छे ज्योतिषी हैं. जन्म कुंडली विशेषज्ञ, हस्त रेखा, वास्तु शास्त्र, तथा रत्न के जानकार हैं.
आपको दो सौ (200) से ज्यादा महायग्य कराने तथा एक सौ सत्तर (170) से ज्यादा मंदिर प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ कराने का अनुभव प्राप्त है. आप संगीतमय श्री मदभागवत कथा का दो सौ (200 )से अधिक बार अनुष्ठान आयोजन कर चुके हैं। आप सटीक दैनिक राशि फलादेश करते हैं.
पंडितजी की शिक्षा-दीक्षा 2002 से आप बारह वर्ष की आयु में यानि 2002 से 2005 तक महर्षि बेद विज्ञान विद्यापीठ परिक्रमा मार्ग अयोध्या जी (उ.प्र.) में शुक्ल यजुर्वेद, ऋग्वेद और कर्मकांड फलित ज्योतिष, सिद्धांत ज्योतिष का अध्ययन किया. तत्पश्चात यानि सं 2005 से 2011 तक वाराणसी (काशी) के प्रतिष्ठित.
आवासीय विद्यालय श्री काशी मुमुक्ष भवन माध्यमिक संस्कृत विद्यालय अस्सी (वाराणसी) से क्रमश: प्रथमा, पूर्वमध्यमा, उत्तरमध्यमा की पढ़ाई पूरी की. तत्पश्चात सन 2011 से 2016 तक विश्व प्रसिद्ध संस्कृत और संस्कार की जननी विश्व का पुराना संस्कृत विश्वविद्यालय (वाराणसी) से अध्ययन प्राप्त किया. आपने अपने इष्ट मित्रों और चहेतों के कहने पर 2016 में छात्र संघ महामंत्री का चुनाव लड़ा और उप-विजेता रहे.
पुन: आप सम्पूर्णानन्द से ही सूचना विज्ञान शास्त्री यानि (बि.ली.भ) की पढ़ाई 2017-18 में पूर्ण की. फिर आपने बीएड की तैयारी पूरी की और सं 2018-2020 तक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय से बी.एड. का कोर्स पूरा किया.
आप शुरुवाती शिक्षा से लेकर शास्त्री, आचार्य बी.ली.भ, बी.एड तक प्रथम स्थान प्राप्त किया. आप एक सरल-सहज, सामाजिक, विनयशील, हंसमुख तथा व्यक्तित्व और प्रतिभा के धनि व्यक्ति हैं.
आचार्य जी से अधिक जानकारी के लिए आप इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं-7318044793, 7985958845
WhatsApp No.- 9554671601
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