Navratri 2022: जानिए क्या होता है जब माता रानी का आगमन हाथी पर होता है? - 5MINUTES NEWS

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Navratri 2022: जानिए क्या होता है जब माता रानी का आगमन हाथी पर होता है?

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस शारदीय नवरात्रि ( Navratri 2022 )की शुरुआत 26.09.2022 दिन सोमवार से हो रही है. मान्यता है कि जब भी नवरात्रि क...

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस शारदीय नवरात्रि (Navratri 2022)की शुरुआत 26.09.2022 दिन सोमवार से हो रही है.



मान्यता है कि जब भी नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है तब माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है।

जानिए इस शारदीय नवरात्र का महत्व: https://www.5minutesnews.com/2022/09/navratri-2022-path-sankalp-shardiya.html

माँ का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है। मान्यता है कि हाथी पर सवार होकर माँ दुर्गा अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख समृद्धि लेकर आती है।


प्रमाण देवी आगमन विचार


श्लोक:

शशि सूर्य गजारुढ़ा शनि भौमे तुरंगमें।

 गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता।।


गजे च जलदा देवी छत्रभंगस्तुरंग में।

नौकायां सर्वसिद्धि: स्यात दोलायाम मरणम ध्रुवम।।


वार                    वाहन              फल

रविवार, सोमवार    हाथी      अधिक वर्षा का संकेत


मंगलवार, शनिवार  घोड़ा  सत्ता परिवर्तन राजा को कष्ट


गुरुवार, शुक्रवार    डोली   रक्तपात, जनधनहानि, तांडव


बुधवार             नौका (नाव)  सर्व कष्ट निवारण


इस बार देवी का आगमन हाथी पर होगा


इस बार पूरे पूरे 9 दिन की नवरात्रि रहने वाली है, जो कि बहुत अच्छा माना जा रहा है। अतः 9 दिन तक 9 पाठ यानी नवचंडी पाठ होता है। ऐसा विधान है।

विजयादशमी 5.10.2022 यानी बुधवार को है। विशेष रूप से 4.10.2022 को दोपहर 1:33 तक नवमी समाप्त हो रही है  उसके बाद दशमी हो जा रही है और जो अगले दिन 5-10-2022 बुधवार को 11:00 मिनट तक रहने वाली है।

हालांकि दुर्गा विसर्जन तथा दुर्गा आगमन और इनके फल 5.10.2022 बुधवार को ही ग्राह्यय है। तो माता रानी हाथी पर ही प्रस्थान करेंगी, इसके फलस्वरूप अधिक बरसात होने की संभावना है।


प्रमाण देवी गमन विचार

शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,

शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।

बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा,

सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥


वार                  वाहन        फल

रविवार, सोमवार  भैसा      रोग और शोक की वृद्धि


शनिवार, मंगलवार  मुर्गा  दुख और कष्ट की वृद्धि


बुधवार, शुक्रवार    हाथी   अधिक वृष्टि यानी बारिश


गुरुवार   नर वाहन (मनुष्य के ऊपर)  सुख शांति की वृद्धि


इस वर्ष देवी का गमन हाथी पर ही होगा


विशेष: 2 अक्टूबर दिन रविवार को सप्तमी तिथि सायं 6:21 तक है तथा मूल नक्षत्र रात्रि 2:21 तक है। तो नियमतः सप्तमी और मूल नक्षत्र में माता रानी का पट खुलता है। 2 अक्टूबर दिन रविवार को सुबह से लेकर सायं 6:21 के बीच में माता रानी का पट खुलेगा।

महानिशा पूजा विचार: महानिशा पूजा अष्टमी तिथि की रात्रि में मनाया जाता है, परंतु इस वर्ष 2 अक्टूबर रविवार को रात्रि 6:21 पर सप्तमी समाप्त हो जा रही है। तत्पश्चात अष्टमी तिथि होने जा रही है जो अगले दिन यानी 3 अक्टूबर सोमवार को अष्टमी तिथि दिन में 3:59 तक है। उस दिन अष्टमी तिथि रात्रि में नहीं मिल पा रही है। अर्थात महानिशा पूजा 2 अक्टूबर रविवार को ही मनाई जाएगी।


नवरात्रि के 9 दिन पृथक, पृथक भोग सामग्री

दिन       देवी     भोग

प्रथम शैलपुत्री  शुद्ध देसी घी या देसी घी की मिठाई

द्वितीय    ब्रह्मचारिणी  शक्कर, सफेद मिठाई, मिश्री, फल

तृतीय   चंद्रघंटा   दूध से बनी मिठाई या खीर


चतुर्थ   कूष्मांडा    मालपुआ

पंचम     स्कंदमाता  केला

षष्टम     कात्यायनी   शहद


सप्तम     कालरात्रि  गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई

अष्टम    महागौरी   नारियल या नारियल से बनी मिठाई

नवम       सिद्धिदात्री     अनार और तिल


विशेष नवरात्रि के अलग-अलग रंग के वस्त्र

दिन          देवी       रंग      वस्त्र

प्रथम    शैलपुत्री    केसरिया  ऑरेंज कलर का वस्त्र

द्वितीय ब्रह्मचारिणी सफेद  सफेद रंग का वस्त्र

तृतीय   चंद्रघंटा       लाल   लाल रंग का वस्त्र

चतुर्थ  कूष्मांडा   रॉयल ब्लू  रॉयल ब्लू कलर का वस्त्र

पंचम    स्कंदमाता   पीला     पीला वस्त्र

षष्टम    कात्यायनी   हरा      हरा रंग का वस्त्र

सप्तम   कालरात्रि    ग्रे     ग्रे कलर का वस्त्र

अष्टम   महागौरी  पर्पल   पर्पल कलर का वस्त्र

नवम   सिद्धिदात्री  ग्रीन     ग्रीन कलर का वस्त्र


नवरात्रि का व्रत रखने से पहले इन बातों का ध्यान रखें


1.अगर आपने अपने घर में नवरात्रि में कलश स्थापना किया है तो नवरात्रि के 9 दिनों तक घर को कभी भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। इन 9 दिनों में किसी न किसी को रहनाअति आवश्यक है।


2. नवरात्रि के दिनों में कलह से बचना चाहिए किसी भी प्रकार के वाद-विवाद से दूर तक किसी भी विवाद में ना फंसे। लाभकारी होगा।

3. नवरात्रि के दिनों में शुद्ध सात्विकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। लहसुन, प्याज और मांस, मदिरा का सेवन करने से बचें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।


4. नवरात्रि में पुरानी खंडित मूर्ति का प्रयोग पूजा में बिल्कुल ना करें। वही मां दुर्गा का पूजन करते समय अगरबत्ती की जगह धूप जला लें।


5. अगर आप नवरात्रि में व्रत रखते हैं तो शायन ना करें। अगर रात्रि में सो भी जाते हैं पर दिन में कदापि ना सोयें। इस दौरान दुर्गा चालीसा नवार्ण मंत्र का जप करते रहें।


6. नौ दिन व्रत रखने वाले व्रती को 9 दिनों में नाखून, बाल और दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए।


7. मां दुर्गा का विधिवत पूजा करने के बाद आरती अवश्य करें।


8. नवरात्रि के दिनों में सहवास करने से बचे। इन दिनों में महिलाओं पुरूषों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। मां की पूजा अर्चना करनी चाहिए।


9. अतिथियों का सम्मान करें और गुरुजनों का पूजन कर आशीर्वाद लें। माता-पिता की आज्ञा माने।


विशेष: अब पुनः अगले अंक में पाठकी विधि तथा किस-किस निवारण के लिए किस मन्त्र का सम्पूट लगा कर पाठ करें तथा कराएँ, अगले अंक में बताया जाएगा।


नवरात्रि में पाठ कराने हेतु अतिशीघ्र संपर्क करें:

आचार्य पंडित राजेश चतुर्वेदी

सं. सं. वि. वि. वाराणसी

WhatsApp: 9554671601







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