प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में वहाँ मौजूफ स्टूडेंट्स से 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में हिस्सा बनकर स्टू...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में वहाँ मौजूफ स्टूडेंट्स से 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में हिस्सा बनकर स्टूडेंट्स से बातचीत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, 'शायद इतनी ठंड में पहली बार परीक्षा पर चर्चा हो रही है। आमतौर पर फरवरी में करते हैं, विचार आया कि आप सबको 26 जनवरी का भी लाभ मिले। आप सब कर्तव्य पथ पर गए थे, कैसा लगा, घर जाकर क्या बताएंगे? परीक्षा पर चर्चा मेरी भी परीक्षा है। देश के कोटि-कोटि विद्यार्थी मेरी परीक्षा दे रहे हैं। मुझे ये परीक्षा देने में आनंद आता है।'
PM ने कहा कि मुझे लाखों की तादाद में सवाल पूछते हैं, व्यक्तिगत समस्याएं बताते हैं, परेशानियां बताते हैं। सौभाग्य है कि देश का युवा मन क्या सोचता है, किन उलझनों से गुजरता है, देश से उसकी अपेक्षाएं क्या हैं, सरकारों से अपेक्षा क्या है, सपने क्या हैं, संकल्प क्या हैं, मेरे लिए ये बहुत बड़ा खजाना है। मैंने मेरे सिस्टम को कहा है कि सारे सवालों को इकट्ठा करके रखिए। 10-15 साल बात सोशल साइंटिस्टों के द्वारा उनका एनालिसिस करेंगे। पीढ़ी और स्थिति बदलने के साथ सपने-संकल्पों-सोच के बदलने का आकलन करेंगे। इतना बड़ा डेटा शायद ही कहीं मिले।'
आप स्मार्ट हैं या गैजेट स्मार्ट है?
सोशल मीडिया से भटके बिना पढ़ाई करने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि आप स्मार्ट हैं या गैजेट स्मार्ट है? अगर आप खुद को गैजेट से ज्यादा स्मार्ट मानेंगे तो गैजेट का सही इस्तेमाल कर सकेंगे.
आरोप और आलोचना में फर्क है: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष के लोग साइकोलॉजी जानते हैं, इसलिए जानबूझकर ऐसी बात छेड़ देते हैं कि हम अपना विषय छोड़कर उसका जवाब देने में लग जाते हैं. हमें बस अपने लक्ष्य पर फोकस रखना चाहिए. आलोचना बहुत मुश्किल काम है. ऐसे में लोग शॉर्टकट अपनाते हैं और आरोप लगाते हैं. दोनो में बहुत फर्क है. हम आरोपों पर ध्यान न दें मगर आलोचना को अपने लिए जरूरी समझें.
घर में आलोचना नहीं होती: पीएम मोदी
आलोचना करने वाले आदतन ऐसा करते हैं. उन्हें एक बक्से में डाल दीजिये. घर में आलोचना नहीं होती, ये दुर्भाग्य का विषय है. घर में आलोचना के लिए आपके शिक्षकों से मिलना होता है, आपको ऑब्जर्व करना होता है. ऐसी आलोचना काम आती है.
सामान्य लोग ही असामान्य काम करते हैं
पीएम ने कहा, दुनिया में देखिये, जो लोग बहुत सफल हुए हैं, वे भी सामान्य ही हुआ करते थे. इस समय पूरे विश्व में देशों की आर्थिक स्थिति की चर्चा हो रही है. ऐसा नहीं है कि दुनिया में अर्थशास्त्रियों की कमी नहीं है. आज दुनिया आर्थिक मोर्चे पर भारत की तरफ देख रही है. अभी तक ऐसा ही कहा जाता था कि भारत में अर्थशास्त्रियों की कमी है, प्रधानमंत्री को भी कोई ज्ञान नहीं है. मगर अब ये सामान्य ही असामान्य हो गया है.
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