रुकना मैंने सिखा नहीं... हारना मुझे मंजूर नहीं... रुकना मैंने सिखा नहीं... हारना मुझे मंजूर नहीं... रास्ते चाहे कितने भी ...
रुकना मैंने सिखा नहीं...
हारना मुझे मंजूर नहीं...
रुकना मैंने सिखा नहीं...
हारना मुझे मंजूर नहीं...
रास्ते चाहे कितने भी
मुश्किल क्यों ना हो
चल पड़ा हूँ ज़िंदगी की राह पर
निगाहें मंज़िल पर हैं...
एक दिन कामयाबी की
मंज़िल को ज़रूर छुउंगा
यही है मेरी किताब
ज़िंदगी का सवेरा...
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का परचम लहराने वाले कबड्डी प्लेयर राहुल चौधरी की (National Kabaddi Player Rahul Chaudhari) यह पंक्तियाँ निश्चित ही हर इंसान को एक नई प्रेरणा और हौसले की नई राह दिखाती है.
प्याज की कानबाली आ गयी
प्याज की कानबाली आ गयी
दरअसल, यह पंक्तियाँ राहुल चौधरी के आने वाले उपन्यास ‘‘ज़िंदगी का सवेरा” (National Kabaddi Player Rahul Chaudhari Noble 'Zindagi Ka Savera)में अंकित हैं. बिजनौर से बिलांग करने वाले और कबड्डी के रिंग में अपनी प्रतिभा से सबका दिल जीतने वाले राहुल चौधरी अपने पहले उपन्यास ‘‘ज़िंदगी का सवेरा” (Zindagi Ka Savera) से हर इंसान के दिल पर दस्तक देने आ रहे हैं.
कहते हैं कुछ लोग इतिहास पढ़ते हैं, कुछ लोग इतिहास पढ़ाते हैं, लेकिन कुछ लोग अपनी जोश और लगन की बदौलत इतिहास बनाते हैं. इन्हीं में से एक हैं राहुल चौधरी.
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अपने पहले उपन्यास लेखन का अनुभव बताते हुए राहुल चौधरी (National Kabaddi Player Rahul Chaudhari) कहते हैं “मुझे बचपन से ही कबड्डी का शौक़ रहा है और मुझे कबड्डी के साथ-साथ लिखने का भी शौक़ है. कबड्डी में मुझे कई सारे अवार्ड्स मिले हैं. अपने किताब लिखने के पहले प्रयास में ही मैं कुछ संदेश रखने जा रहा हूँ, जो मेरे ख़ुद के लिखे हुए अल्फाज़ हैं”
आगे उपन्यास के बारे में बताते हुए राहुल चौधरी कहते हैं "चाहे इंसान हो या जानवर, हर कोई मुसीबतों का सामना करता है. सबकी ज़िंदगी में सुख-दुःख आते हैं. इंसान तो कभी अपना दर्द छुपा लेता है तो कभी बयान कर देता है, लेकिन बेजुबान जानवर तो कुछ बोल ही नहीं सकते. यही ज़िंदगी का कुछ उतार-चढ़ाव मैं आपके सामने अपनी किताब के ज़रिये लेकर आ रहा हूँ”.
ज़िन्दगी का सवेरा उपन्यास का विमोचन करते मुकेश खन्ना
अपनी ज़िंदगी के संघर्ष के बारे में बताते हुए राहुल चौधरी (Kabaddi Player Rahul Chaudhari) कहते हैं “मैंने अपनी जिंदगी में बहुत सी मुश्किलों का सामना किया, लेकिन मैं उनसे कभी भी हारा नहीं और उनका डट के सामना किया मैंने अपनी जिंदगी में बहुत से अवार्ड भी जीते और मैच भी. एक बात कहना चाहता हूं इन्सान को कभी भी हार नही माननी चाहिए. मुश्किलें तो हर इंसान की जिंदगी में आती रहती हैं. उनसे हार मत मानो. जो इन्सान उनका डट कर सामना कर जाता है, कामयाबी उसके कदमों में होती है".
“तू ज़िन्दा है तो ज़िंदगी की जीत में यकीन कर, अगर है कहीं स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर”, अपने पहले उपन्यास “ज़िंदगी का सवेरा” (Zindagi Ka Savera Noble) से कबड्डी प्लेयर राहुल चौधरी आपको कुछ नया और बड़ा करने का हौसला देने के लिए आ रहे हैं.
“ज़िंदगी का सवेरा’’ उपन्यास को जहाँ अपने शब्दों से संवारा है राहुल चौधरी ने, वही इसका प्रकाशन किया गया है स्नेहल विलणकर (Snehal Vilankar) ने और इसका मुख्य पृष्ठ डिजाइन किया है साईली विलणकर ने.
राहुल चौधरी के उपन्यास के विमोचन कुछ दिनों पहले महाभारत में भीष्म पितामह के किरदार को जीवंत करने वाले अभिनेता मुकेश खन्ना (Mukesh Khanna) द्वारा मुम्बई में किया गया.
स्नेहल विलणकर ने "ज़िंदगी का सवेरा" (Zindagi Ka Savera) उपन्यास के बारे में बताते हुए कहा कि "यह उपन्यास हर इंसान की ज़िंदगी पर आधारित है. हर इंसान के बचपन से लेकर मृत्यु तक सफ़र में इसमें समाहित है. जो भी इस उपन्यास को पढ़ेगा, इसमें उसकी ज़िंदगी और ज़िंदगी की कहानी नज़र आयेगी".
साथ ही स्नेहल ने बताया कि दुसरे उपन्यास का लेखन जारी है और ज़ल्द ही मार्केट में आयेगा. इस उपन्यास का लेखन भी राहुल चौधरी(National Kabaddi Player Rahul Chaudhari) द्वारा ही किया जा रहा है.
5minutes news राहुल चौधरी के साथ-साथ इस उपन्यास की पूरी टीम को बधाईयाँ देती हैं.
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