तस्वीरें देखिये और ज़रा सोचिये, क्या इंडिया सचमुच लॉकडाउन है? - 5MINUTES NEWS

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तस्वीरें देखिये और ज़रा सोचिये, क्या इंडिया सचमुच लॉकडाउन है?

कोरोना वायरस (COVID-19) ने ऐसा कहर ढाया कि दहशत सबके चेहरे पर घर कर गई है। इसका खौफ़ देखते ही बाहर रहा है। ना तो इस समय कोई दुआ काम कर रही ...

कोरोना वायरस (COVID-19) ने ऐसा कहर ढाया कि दहशत सबके चेहरे पर घर कर गई है। इसका खौफ़ देखते ही बाहर रहा है। ना तो इस समय कोई दुआ काम कर रही है और ना ही कोई दवा।
तस्वीरें देखिये और ज़रा सोचिये, क्या इंडिया सचमुच लॉकडाउन है?


हर एक चेहरा, दूसरा चेहरा देख रहा है। कहीं से कुछ उम्मीद की रोशनी तो नज़र आये। कहीं से विश्वास की कोई किरण तो दिखे। लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं नज़र नहीं आ रहा है|

एक तरफ जान बचाने की फ़िक्र तो दूसरी तरफ पेट भरने की चिंता| इसी जद्दोजहद में लोग भारत की राजधानी दिल्ली (Delhi Crowd in Lockdown) से भाग रहे हैं| लोगों का हुजूम देखकर कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा है कि इंडिया लॉकडाउन है|
तस्वीरें देखिये और ज़रा सोचिये, क्या इंडिया सचमुच लॉकडाउन है?


तो फिर लॉकडाउन का मायने कहाँ रह गया? क्या प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी (PM Narendra Modi LockDown India) के द्वारा लॉकडाउन इंडिया का चलाया गया अभियान, मात्र एक अभियान बन कर रह जाएगा?

लोगों की भीड़ देखकर आप अंदाज़ा लगा सकते हैं| तस्वीरों (Lockdown India Images) को देखकर आप अनुमान लगा सकते हैं. ना कोई तैयारी ना कोई सवारी, कहाँ जा रहे हैं नर और नारी? 

देखकर कोई नहीं सकता कि यह दृश्य उस लॉकडाउन इंडिया का है जिसे 21 दिन के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है| बेशक़ लॉकडाउन इंडिया है, लेकिन इससे परे भी थोड़ा सोचना होगा कि अगर घरों में ही बंद हो गए तो खाए-पीये बगैर भी तो मर जायेंगे?

सभी का Work From Home तो नहीं चल रहा है? उन मजदूरों का क्या, जो सुबह से काम करते हैं कि शाम को दो जून की रोटी नसीब हो जाए| उनके लिए सरकार की तरफ से क्या बंदोबस्त है? 
तस्वीरें देखिये और ज़रा सोचिये, क्या इंडिया सचमुच लॉकडाउन है?

कई ऐसी तस्वीरें आईं, जिसमें देखा गया कि बच्चे घरों में रो रहे हैं और बाहर उनके परिवार वाले सामान लाने जाते हैं तो पुलिस मारती है| ऐसे में वो क्या करेंगे जिनका पेट ही नहीं भर रहा है| क्या इनके लिए भी कोई Work From Home है?

ज़रा 21 दिन के लॉकडाउन इंडिया (21 Days LockDown India)से ऊपर उठकर सोचें तो तस्वीर यह भी साफ़ नज़र आती है कि 21 दिनों के लिए हम जिस कोरोना वायरस की वज़ह से घरों में बंद हैं, कोरोना से अपनी जान to बचा लेंगे, लेकिन भूख से मर जायेंगे|

यह समय और परिस्थिति बहुत विकट है| सच तो यह भी है कि सच कुछ सच से परे है. बाहर निकले तो कोरोना वायरस मार डालेगा और घर के अन्दर रहे तो भूख. 
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वो  भीड़ जो लॉकडाउन इंडिया का अर्थ ख़तम कर रही है, उसके लिए राज्य सरकार के साथ-साथ भारत सरकार को भी कुछ कदम उठाने चाहिए. अगर कोरोना को रोकना हो तो सबसे पहले इस भीड़ को रोकनी होगी. 




  











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