शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो रही है। सिद्धि योग में शुरू होने वाली नवरात्रि में इस बार 30 साल बाद विशेष महायोग बन रहा है। नवरात्रि ...
शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो रही है। सिद्धि योग में शुरू होने वाली नवरात्रि में इस बार 30 साल बाद विशेष महायोग बन रहा है। नवरात्रि में शनि देव अपनी मकर राशि व देव गुरु बृहस्पति मीन राशि में रहेंगे।
नवरात्रि में शनि अपनी राशि मकर में होने से राजनीतिक व्यक्तियों को बड़ा फायदा व उच्च पद दिलाएगा। वही राजनीतिक क्षेत्र में कोई नया चेहरा देखने को मिलेगा।
मेष राशि, वृषभ राशि, कर्क राशि, कन्या राशि, वृश्चिक राशि, मकर राशि, कुंभ राशि वालों के लिए भी नवरात्रि अच्छी साबित होगी। श्रद्धा समर्पण भाव से माता रानी की आराधना करने से मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। क्योंकि कहा गया है कि भावो मोचछांति देवता। यानी देवता भाव में निवास करते है। वह आपका धन, यश, वैभव या आडम्बर देखकर प्रसन्न नहीं होते, अपितु आपके मन में प्रेम भाव और समर्पण भाव देखते हैं।
कलश स्थापना का मुहूर्त-
प्रातः 6:31 से लेकर 7:30 तक- अमृतबेला
दिवा 9:30 से लेकर 11:00 बजे तक- शुभ बेला
दिवा 12:05 से लेकर 12:53 तक- अभिजीत बेला
दिवा 12:41 से 2:45 तक धनु लग्न
इस मुहूर्त में पूजन एवं घट स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा। इस बार शारदीय नवरात्रि का आरंभ हस्त नक्षत्र शुक्ल व ब्रह्मयोग कन्या राशि का चंद्र व कन्या ही राशि के सूर्य में आनंदादि महायोग श्रीवत्स में 26 सितंबर सोमवार को हो रहा है।
विशेष: नवरात्रि में राशि के अनुसार करें अनुष्ठान
मेष: भवानी को लाल फूल चढ़ाएं
वृषभ: सरस्वती की आराधना करें
मिथुन: भुवनेश्वरी देवी की आराधना करें। हरा वस्त्र पहने।
कर्क: भैरवी को चावल दही चढ़ाएं
सिंह: जया स्वरूप की आराधना करें। सफेद वस्त्र धारण करें।
कन्या: चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना करें
तुला: लक्ष्मी जी की आराधना करें। सफेद वस्त्र धारण करें
वृश्चिक: देवी कालरात्रि की आराधना करें
धनु: देवी की मातंगी स्वरूप की आराधना करें। पीला वस्त्र धारण करें
मकर: शारदा देवी की आराधना करें। नीले फूलों से पूजा करें
कुम्भ: कालिका जी की आराधना करें। नीले रंग के आसन पर बैठे
मीन: देवी गौरी की आराधना करें। पीला वस्त्र धारण करें
व्रती को दिन में क्यों नहीं सोना चाहिए
व्रत करने वाले व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि दिन में नहीं सोना है और उसके अंदर क्षमा की भावना हो। दिन में सोने से व्रत का उद्देश्य पूरा नहीं होता और क्षमा की भावना होने से आप ईश्वर के करीब आ पाते हैं।
सुबह सूर्योदय के बाद, दोपहर में सूर्यास्त के समय सोने से बचना चाहिए। गलत समय पर सोने से मोटापा बढ़ता है। आलस्य से बना रहता है। पूजा करते समय एकाग्रता नहीं बन पाती है।
व्रत में क्या-क्या खाना चाहिए?
कच्चे केले की टिक्की
फलाहारी थालीपीठ
सिंघाड़े का नमकीन बर्फी
साबूदाने का पुलाव
मखाने का खीर
साबूदाने का खीर
कुटु की पूरी
कुटु की सब्जी
कुटु के पराठे
खीरे, आलू, मूंगफली का सलाद
भूनी मूंगफली और मखाना
कुटु के पकोड़े इत्यादि
व्रत में कौन सी सब्जी खाएं?
लौकी, आलू, कद्दू, केला, नींबू, खीरा, टमाटर, गाजर, कच्चा पपीता, पालक, शकरकंद
नवरात्रि में यानी पूरे 9 दिन 9 पाठ का विधान है जिसे हम आप नवचंडी कहते हैं। दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय हैं। पूरे श्लोकों की संख्या 700 है तथा इसका संपूर्ण पाठ का नियम कुछ इस प्रकार है। सर्व प्रथम संपूर्ण उसके बाद श्लोक, तत्पश्चात संपूर्ण पाठ यही विधान है। पूरे दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक है जिसका संपूर्ण लगाने पर 2100 मंत्र हो जाते हैं। काल, कवच आदि मंत्रनरवान् मंत्र जप पुरस्सर क्रमेण शक्ति सूत्र, देवी सूक्त पठनम तथा रहस्य श्रयात्मक पाठ करना चाहिए।
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