संसार का एक मात्र त्यौहार छठ पूजा ( Chhath Puja) जिसमें ना सिर्फ उगते सूरज की, बल्कि अस्त होते सूरज की भी पूजा की जाती है. लोक आस्था का ...
संसार का एक मात्र त्यौहार छठ पूजा (Chhath Puja) जिसमें ना सिर्फ उगते सूरज की, बल्कि अस्त होते सूरज की भी पूजा की जाती है. लोक आस्था का ऐसा महापर्व आपको और कहीं देखने को नहीं मिलेगा. छठ व्रत करने वाले पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ छठ माता को अपने आपको समर्पित कर देते हैं. चार दिनों तक चलने वाला छठ पूजा (Chhath Puja) की उमंग हर तरफ देखते ही बनती है.
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छठ पूजा (Why we celebrate Chhath Puja) के अवसर पर लोग डूबते और उगते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं और हमारे जीवन में रोशनी देने वाले और नव ऊर्जा का संचार करने वाले भगवान भास्कर को हृदय से धन्यवाद करते हैं. छठ पूजा (Chhath Puja) के अवसर पर छठ माता को प्रसाद के रूप में ठेकुआ, फल और अन्न भी चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि छठ माता की कृपा जब बरसती है तो हर इंसान का जीवन धन, धांय और वैभव से संपन्न हो जाता है.
क्यों मनाते हैं छठ? Why We Celebrate Chhath Puja?
छठ की परम्परा शुरुवात होने के पीछे कई कहानियां हैं. कहते हैं कि सबसे पहले सीता माता ने सूरज को अर्घ्य दिया था, तब से छठ मनाने की परम्परा हसली आ रही है. दूसरी कहानी यह कहती है कि पांडवों के अज्ञातवास के समय द्रौपदी ने छठ किया था. एक और कहानी के अनुसार अंगराज कर्ण प्रतिदिन घुटने भर पानी में सूरज देवता को अर्घ्य दिया करते थे, उसी मान्यता के अनुसार छठ मनाने की परम्परा चली आ रही है|
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Story Of Chhath Puja
एक दूसरी कहानी के अनुसार मान्यता है की देव माता अदिति ने की थी छठ पूजा (Chhath Puja)। एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य के देव सूर्य मंदिर में छठी मैया की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी। कहते हैं कि उसी समय से देव सेना षष्ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया और छठ पूजा का चलन भी शुरू हो गया।
आज लोकआस्था का महापर्व (Chhath Puja) पूरे पूर्वांचल में श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ मनाया जा रहा है. आज छठ व्रत करने वाले अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे| बहुत प्राचीन परम्परा रही है, सर्वप्रथम अस्त होते सूरज को अर्घ्य देने की| चार दिनों तक चलने वाला छठ का यह महापर्व सबके जीवन में खुशियाँ और नवऊर्जा का संचार लेकर आता है. मान्यता है कि छठ व्रत करने वालों की मुरादें छठ माता अवश्य पूरा करती हैं.
5minutes news आप सभी को पावन हृदय से लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) की हार्दिक शुभकामना देता है (Wish You A Happy Chhath Puja). सूरज यूं ही अस्त और उदय होते रहें और यह परम्परा भी युग युगांतर तक हमेशा चलती रहें|
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